आरजु कुछ है आज
पर मन है क्यो परॆशा,
आराम सब है पास
फिर नींद क्यो है नाराज,
माना तु है नाराज
हम कर रहे है तुझे तलास,
सब कुछ है मेरे पास
फिर भी है खाली हाथ।
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
आरजु कुछ है आज
पर मन है क्यो परॆशा,
आराम सब है पास
फिर नींद क्यो है नाराज,
माना तु है नाराज
हम कर रहे है तुझे तलास,
सब कुछ है मेरे पास
फिर भी है खाली हाथ।