कुछ अनजाने से रिश्ते
कुछ पहचाने
कुछ अजनबी से लगे
समय के मेल से बने
पता नही कब तक
मन मे बसे रहे
पेड़ के सुखे पत्ते से
पत्तो से हल्के
पर पत्तर से भारी लगे
पेड़ जुदा करना चाहे
पर कर न पाऐ
किसी छोकें के इन्तजार में
आसमा को तकता रहे।
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
कुछ अनजाने से रिश्ते
कुछ पहचाने
कुछ अजनबी से लगे
समय के मेल से बने
पता नही कब तक
मन मे बसे रहे
पेड़ के सुखे पत्ते से
पत्तो से हल्के
पर पत्तर से भारी लगे
पेड़ जुदा करना चाहे
पर कर न पाऐ
किसी छोकें के इन्तजार में
आसमा को तकता रहे।