ये उनका गुन्हा था
या हम ही कुछ
ऐसा कर बैठे।
अनजानी राहों पर जो
खुद को ले जाने पर
मजबूर कर बैठे।
हर पल की ताबीर
को साथ लेकर
एक तस्वीर तो
बना ली हमने।
पर उस को जहां के सामने
नुमाइस कर गुन्हा कर बैठे।
और इस दौर-ऐ- तिजारत में
खुद को ही गवा बैठे।