फुर्स्त के दो पल कुछ यूँ मिले
के एक पल मे ही गुजर दिये
सपने जो देखे मैनें
तेरी पलको मे सजा दिये
आज कुछ नगमे लिखे मैनें
जो तुझे आँखो से ही सुना दिये
जुस्तजु जो कैद थी इस सीने में
तुने अपने सीने में समा लिए
छलक उठे आँखो से कैद दरीया
और तूने उनहें भी मोती बना दिये
हमने फलक पर तारे देखने की तमन्ना की
तूने अपने चाँद को देखने की गुजारिश की
बस फुर्सत के दो पल कुछ यूँ ही गुजार दिये।