कहना तो बहुत कुछ है,
पर कह न सके |
ये लब है की,
तेरे सामने खुल न सके|
इन्हें खामोश ही रहने दो,
ये ही अच्छा है |
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
कहना तो बहुत कुछ है,
पर कह न सके |
ये लब है की,
तेरे सामने खुल न सके|
इन्हें खामोश ही रहने दो,
ये ही अच्छा है |