तुझे जो देखा
इतने करीब से
लगा की जैसी
साँसे थम गयी।
अचानक रूबरू
हुई जो तुझसे
लगा की जैसे
धड़कन बढ़ गयी।
सुना जो मेरा नाम
तेरे जुबान से
लगा की जैसे
लहू जम गयी।
तुने जो बढ़ाया हाथ
एक मुबारक देने
लगा के जैसे
कायनात बदल गयी।
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
तुझे जो देखा
इतने करीब से
लगा की जैसी
साँसे थम गयी।
अचानक रूबरू
हुई जो तुझसे
लगा की जैसे
धड़कन बढ़ गयी।
सुना जो मेरा नाम
तेरे जुबान से
लगा की जैसे
लहू जम गयी।
तुने जो बढ़ाया हाथ
एक मुबारक देने
लगा के जैसे
कायनात बदल गयी।