मै कोई कवि नहीं और
ये सिर्फ़ कविता नहीं।
कुछ सार है जीवन के,
एक तार है मन का।
कुछ रस है जीवन के,
एक मस है मन का।
कुछ पल है जीवन के,
एक दर्द है मन का।
कुछ चाह है जीवन की,
एक आह है मन की।
कुछ दुविधा है जीवन की,
एक हल है मन का।
कुछ सोच है जीवन की,
एक मंथन है मन का।
कुछ ज्वाला है जीवन की,
एक सैलाब है मन का|
कुछ यादे है जीवन की,
एक अहसास है मन का।
बस कुछ,
यादो को संजोया है।
शब्दों को पिरोया है।।