Poetryइन्तजार दिसम्बर 16, 2017दिसम्बर 16, 2017 Priya Rathi कुछ युं सुमां है हममे, इन्तजार-ए-आलम का नशा। हम पलक भी झपकते है, तो सदीया गुजर जाती है।।
Poetryमिराज दिसम्बर 5, 2017 Priya Rathi रेगिस्तान की ढलती श्याम मे तेरा साथ एक मिराज सा था। जो लम्हा बिताया साथ मे मेरी आँखों का ख्वाब सा था।।