रेगिस्तान की ढलती श्याम मे
तेरा साथ एक मिराज सा था।
जो लम्हा बिताया साथ मे
मेरी आँखों का ख्वाब सा था।।
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
रेगिस्तान की ढलती श्याम मे
तेरा साथ एक मिराज सा था।
जो लम्हा बिताया साथ मे
मेरी आँखों का ख्वाब सा था।।