मेरे जेहनो-दिमाग़ पर
हर पल कुछ यू
तेरे यादो का
पहरा सा है |
देख ले आ कर
ए-ज़ालिम-आशुफ्ताक
एक और अश्क
तेरे नाम का है |
मै कोई कवि नहीं और ये सिर्फ़ कविता नहीं।
मेरे जेहनो-दिमाग़ पर
हर पल कुछ यू
तेरे यादो का
पहरा सा है |
देख ले आ कर
ए-ज़ालिम-आशुफ्ताक
एक और अश्क
तेरे नाम का है |
हजूर! ये दिल-लगी, दिल की लगी बन गयी
तुझ से जो की यारी, बहुत महंगी पड़ गयी